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मन को शान्ति देने वाला है श्रीकृष्ण नाम
अठारह पुराणों व ‘महाभारत’ की रचना भी न दे सकी वेदव्यासजी को मन की शान्ति।
भगवान के ‘मन’ अवतार देवर्षि नारद
देवर्षि नारद ब्रह्मतेज से सम्पन्न व अत्यन्त सुन्दर हैं। वे शांत, मृदु और सरल स्वभाव के हैं। उनका शुक्ल वर्ण है। उनके सिर पर शिखा शोभित है। उनके शरीर से दिव्य कांति निकलती रहती है। वे देवराज इन्द्र द्वारा प्राप्त दो उज्जवल, श्वेत, महीन और बहुमूल्य दिव्य वस्त्र धारण किए रहते हैं। भगवान द्वारा प्रदत्त वीणा सदैव उनके पास रहती है। इनकी वीणा ‘भगवज्जपमहती’ के नाम से विख्यात है, उससे अनाहत नाद के रूप में ‘नारायण’ की ध्वनि निकलती रहती है। अपनी वीणा पर तान छेड़कर भगवान की लीलाओं का गान करते हुए ये सारे संसार में विचरते रहते हैं। कब किसका क्या कर्तव्य है, इसका उन्हें पूर्ण ज्ञान है। ये ब्राह्ममुहुर्त में सभी जीवों की गति देखते हैं और सभी जीवों के कर्मों के साक्षी हैं। वे आज भी अजर-अमर हैं।