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व्रज के निराले ठाकुर श्रीबांकेबिहारीजी

श्रीबांकेबिहारीजी के दर्शन में बार-बार क्यों लगाया जाता है पर्दा ?

श्रीधामवृन्दावन

श्रीधाम वृन्दावन भगवान श्रीराधाकृष्ण की रसमयी लीलाभूमि है। पुराणों में इसे व्रजमण्डलरूपी कमल की अत्यन्त सुन्दर कर्णिका कहा गया है। अत: कमल-कर्णिका के समान ही यह सुन्दरता, सुकुमारता एवं मधुरता का कोष है।

व्रज एवं व्रजरज

श्रीराधामाधव एवं उनके सखा एवं गोपियों की नित्य लीलाओं को जहां आधार प्राप्त हुआ उस धाम को रसिकों, भक्तों ने व्रजधाम या व्रजमंडल कहा है। पाँच हजार वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराधाजी, ललिता, विशाखा आदि अष्टसखियों, गोप-गोपियों, श्रीयमुनाजी, और पवित्र गौओं के साथ इस दिव्य भूमि में विचरण किया था। यही गोकुल, नन्दगांव व वृन्दावन है, जहां सर्वत्र कण-कण में श्रीकृष्ण के स्वरूप का दर्शन पाकर भाव-विभोर हुए ब्रह्माजी अपने नयनाश्रुओं से यहां के रजकणों (धूल) का अभिषेक करने के लिए बाध्य हुए थे।

श्रीकृष्ण और उनकी मनमोहिनी मुरली

श्रीकृष्ण को वंशी इतनी प्रिय क्यों है?