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‘श्री-सूक्त’ : ऐश्वर्य और समृद्धिदायक
हे अग्निदेव! कभी नष्ट न होने वाली उन स्थिर लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें जो मुझे छोड़कर अन्यत्र नहीं जाने वाली हों, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, उत्तम ऐश्वर्य, गौएं, दासियां, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें। ऐश्वर्य और समृद्धि की कामना से इस 'श्री-सूक्त' के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों से हवन, पूजन अमोघ फलदायक है।