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साधक का गुप्त धन है जप माला
व्यक्ति को अपनी जप माला अलग रखनी चाहिए । दूसरे की माला पर जप नहीं करना चाहिए । जप की माला पर जब एक ही मन्त्र जपा जाता है, तो उसमें उस देवता की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है, माला चैतन्य हो जाती है ।
श्रीकृष्ण के मोरपंख व गुँजामाला धारण करने का रहस्य
बर्हापीडं नटवरवपु: कर्णयो: कर्णिकारं
बिभ्रद् वास: कनककपिशं वैजयन्तीं च मालाम्।
रन्ध्रान् वेणोरधरसुधया पूरयन् गोपवृन्दै-
र्वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्राविशद् गीतकीर्ति:।।
प्रस्तुत श्लोक में श्रीकृष्ण की अद्भुत मोहिनी शोभा का वर्णन...