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भगवान विट्ठल और संत सांवता माली

पण्ढरपुर के पास अरणभेंडी नामक ग्राम में सांवता नाम के भक्त हुए । वे माली का काम करते थे और वनमाली श्रीविट्ठल को भजते थे । सांवता सब जगह सब पदार्थों में भगवान को ही देखा करते थे । भगवान विट्ठल और भक्त सांवता के अद्भुत प्रेम की कथा ।

वैराग्य के अवतार : भक्त राँका और बाँका

उस दिन भगवान ने भक्तों की वैराग्य लीला से प्रसन्न होकर राँका-बाँका के लिए जंगल में सारी सूखी लकड़ियां एकत्र कर गट्ठर बांध कर रख दीं । पति-पत्नी ने देखा कि आज तो जंगल में कहीं भी लकड़ियां दिखाई नहीं देती हैं । लकड़ी के गट्ठरों को उन्होंने किसी दूसरे का समझा । दूसरे की वस्तु की ओर आंख उठाना भी पाप है—यह सोच कर दोनों खाली हाथ घर लौट आए ।