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सुदर्शनचक्र अवतार भगवान श्रीनिम्बार्काचार्यजी

आचार्य नियमानन्द क्यों कहलाए श्रीनिम्बार्काचार्य ?

तीर्थयात्रा का फल

घर पर रह कर भी कैसे पा सकते हैं तीर्थयात्रा का फल

मूर्ति में क्यों बसते हैं भगवान ?

भक्तों की उपासना के लिए मूर्ति में बसते हैं भगवान

क्यों करते हैं भगवान अपने भक्तों की चाकरी ?

विद्यापति के लिखे पदों को सुनने के लिए भोलेनाथ ने धरा सेवक ‘उगना’ का रूप

जैसा भाव वैसे भगवान

वैष्णव वह है जो अपने दोषों को देखे, दूसरों के नहीं

करमाबाई की खिचड़ी

करमाबाई अपने गोपाल को अपने हृदयचक्षु (मन की आंखों) से भोग लगाते देखती थी। परमेश्वर गोपाल के रूप में करमाबाई की खिचड़ी का भोग लगाता था। करमाबाई अपने प्रभु के धाम पहुंच गयी पर उस कुटिया में मैया की खिचड़ी का स्वाद उस सर्वेश्वर जगन्नाथ को ऐसा लगा कि वह अपनी आप्तकामता को भूलकर रो-रोकर उसकी खिचड़ी के लिए पुकारता था--‘मैया री! मैं भूखा हूँ, मुझे खिचड़ी दे।’ आज उसकी कुटिया खाली पड़ी है, पर उसमें है एक प्यारी सी, नन्हीं-सी, भोली-सी गोपाल की मूर्ति। लोगों ने कई दिनों तक उस मूर्ति से रोने की आवाज को सुना था।

बालकृष्ण का कटि-परिवर्तन (करवट बदलने का) उत्सव

गोपियाँ बालकृष्ण के दर्शन में तन्मय हैं, तभी लाला ने करवट बदलना शुरु किया। इसे देखकर वे दौड़कर माता यशोदा के पास जाकर बोलीं कि बालकृष्ण ने आज करवट ली है । यशोदा माता को बहुत प्रसन्नता हुई कि लाला अभी तीन महीनों का है और करवट बदल रहा है। यशोदा माता ने कहा कि आज मैं लाला का कटि-परिवर्तन उत्सव करूंगी।