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स्वस्थ व सुखी जीवन के स्वर्णिम सूत्र

यदि मनुष्य बार-बार यह कहे कि ‘मैं बीमार हूँ, मैं बीमार हूँ, मुझे कोई रोग हो गया है’ तो यह सिद्ध बात है कि कुछ ही समय में उसका शरीर रोगी हो जाएगा । सुख-दु:ख कभी बाहर से नहीं आते । जिसके मन में दु:ख के लिए कोई स्थान नहीं है, वह कभी दु:खी नहीं हो सकता, वह तो सदा सुखी ही रहेगा । इसलिए मनुष्य को कभी भी नकारात्मक विचारों को अपने मन में स्थान नहीं देना चाहिए ।