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भगवान श्रीकृष्ण द्वारा पूतना को सद्गति प्रदान करना
पूतना के पूर्वजन्म की कथा, एवं पूतना-वध की कथा | आखिर पूतना के आते ही भगवान ने अपने नेत्र बंद क्यों किए?
पूतना जन्म से राक्षसी थी, कर्म था शिशुओं की हत्या करना और आहार था बालकों का रक्त। वह श्रीकृष्ण के पास कपटवेश बनाकर मारने गयी थी; किन्तु कैसे भी गई; किसी भी भाव से गई; नन्हें बालकृष्ण के मुख में उसने अपना स्तन दिया इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने उसे माता की गति दी। उसका कपटी राक्षसी शरीर दिव्य गंध से पूर्ण हो गया। श्रीकृष्ण जिसे छू लेते हैं उसका लौकिक शरीर फिर अलौकिक, दिव्य, चिन्मय बन जाता है। श्रीकृष्ण की मार में भी प्यार है।