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भगवान जगन्नाथ जी का स्नान यात्रा महोत्सव
पुरुषोत्तम क्षेत्र (पुरी) में काष्ठ का शरीर धारण कर निवास करने वाले भगवान जगन्नाथ जी कलिकाल के साक्षात् परब्रह्म परमात्मा हैं; लेकिन वे सुबह से लेकर रात तक और ऋतुओं के अनुसार एक आदर्श गृहस्थ की तरह अनेक लीलाएं करते हैं । वे खाते-पीते हैं, गरमी में जलविहार करते हैं, स्नान करते हैं, उन्हें ज्वर भी आता है, औषधियों के साथ काढ़ा पीते हैं ।
भगवान जगन्नाथजी का नवकलेवर महोत्सव
जिस साल आषाढ़ महीने में अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) या मल मास होता है अर्थात् जिस साल आषाढ़ के दो महीने होते हैं, उस वर्ष भगवान जगन्नाथ का ‘नव कलेवर समारोह’ मनाया जाता है । प्राय: बारह वर्ष के अंतराल में दो आषाढ़ पड़ते हैं; तब भगवान जगन्नाथ नव कलेवर धारण करते हैं ।