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सुख-दु:ख और भगवत्कृपा
दु:ख के समय का कोई साथी नहीं होता बल्कि लोग तरह-तरह की बातें बनाकर दु:ख को और बढ़ा देते हैं । ऐसी स्थिति में यह याद रखें कि निन्दा करने वाले तो बिना पैसे के धोबी हैं, हमारे अन्दर जरा भी मैल नहीं रहने देना चाहते । ढूंढ़कर हमारे जीवन के एक-एक दाग को साफ करना चाहते हैं । वे तो हमारे बड़े उपकारी हैं जो हमारे पाप का हिस्सा लेने को तैयार हैं ।