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भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा
गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?