Tag: गोसेवा
प्रथम गोचारण चले कन्हाइ
माता के आनन्द का क्या कहना? जिसका सौंदर्य सारे जग को विस्मित कर दे, जो मोहन है, मनमोहन हैं, भुवन मनमोहन हैं; उनको उबटन लगाकर स्नानादि कराकर नन्दरानी ने ‘गोपाल’ बनने के योग्य सुन्दर नवीन वस्त्राभूषणों से और भी सजा दिया। कहीं नजर न लग जाए, इसलिए माथे पर काजल का डिठौना भी लगा दिया--’राइ लोन उतार जसोदा गोबिंद बल बल जाय।’