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हर प्रकार की अशुभता दूर करने के लिए गाय के अचूक...

गाय के साथ भूलकर भी न करें ये गलतियां—गाय साक्षात् जगदम्बा है अत: कभी भूल कर भी गाय को जूठी वस्तु न खिलाएं । गाय को कभी लांघना नहीं चाहिए । गाय यदि घर पर रखी है तो कभी भी उसे भूखा प्यासा न रखें, न ही उसे धूप में बांधे । गाय के लिए पर्याप्त चारे, पानी व सर्दी-गर्मी से बचाव का ध्यान रखना चाहिए । गौओं को लात व लाठी से न मारें । गौओं को जो लाठी से पीटते हैं उन्हें बिना हाथ का होकर यमलोक जाना पड़ता है ।

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गौओं की जननी सुरभी की प्राकट्य लीला

गौ गोलोक की एक अमूल्य निधि है, जिसकी रचना भगवान ने मनुष्यों के कल्याणार्थ आशीर्वाद रूप से की है। अत: इस पृथ्वी पर गोमाता मनुष्यों के लिए भगवान का प्रसाद है। भगवान के प्रसादस्वरूप अमृतरूपी गोदुग्ध का पान कर मानव ही नहीं अपितु देवगण भी तृप्त होते हैं। इसीलिए गोदुग्ध को ‘अमृत’ कहा जाता है। गौएं विकाररहित दिव्य अमृत धारण करती हैं और दुहने पर अमृत ही देती हैं। वे अमृत का खजाना हैं। सभी देवता गोमाता के अमृतरूपी गोदुग्ध का पान करने के लिए गोमाता के शरीर में सदैव निवास करते हैं। ऋग्वेद में गौ को ‘अदिति’ कहा गया है। ‘दिति’ नाम नाश का है और ‘अदिति’ अविनाशी अमृतत्व का नाम है। अत: गौ को अदिति कहकर वेद ने अमृतत्व का प्रतीक बतलाया है।