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श्रीकृष्ण एक, रूप अनेक
वे वसुदेव-देवकी और नन्द-यशोदा को सुख देने वाले पुत्र हैं; गोपबालकों व सुदामा जैसे दरिद्रों, उद्धव जैसे ज्ञानियों व अर्जुन जैसे वीरों के सखा है; गोपियों के प्राणनाथ हैं; राधा के लिए प्रेमी हैं; द्वारका की पटरानियों के प्रिय पति हैं, गौओं के अनन्य सेवक हैं; पशु-पक्षियों के बन्धु हैं; राक्षसों के काल हैं; ज्ञानियों के ब्रह्म हैं; योगियों के परमात्मा हैं; भक्तों के भगवान हैं; प्रेमियों के प्रेमी हैं; राजनीतिज्ञों में निपुण दूत हैं, शूरवीरों में महान पराक्रमी हैं, अशरण की शरण हैं और मुमुक्षुओं के लिए साक्षात् मोक्ष हैं।
श्रीकृष्ण सर्वगुणसम्पन्न एवं सोलह कलाओं से युक्त युग पुरुष
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।
भगवान श्रीकृष्ण अनन्त ऐश्वर्य, अनन्त बल, अनन्त यश, अनन्त श्री, अनन्त ज्ञान और अनन्त वैराग्य की जीवन्त मूर्ति हैं।...