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पितृ पूजा या पितर कर्म क्यों करना चाहिए ?
श्राद्ध से केवल मनुष्य की और पितरों की ही संतुष्टि नहीं होती है; वरन् श्राद्ध करने वाला ब्रह्मा से लेकर तृण (घास-फूंस) तक समस्त सृष्टि को संतुष्ट कर देता है । श्राद्ध द्वारा तृप्त हुए पितर मनुष्य को मनोवांछित भोग प्रदान करते हैं । पितरों की पूजा से मनुष्य को पुष्टि, आयु, वीर्य, और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
श्रीराधा महिमा
जैसे कुम्हार मिट्टी के बिना घड़ा नहीं बना सकता तथा जैसे सुनार सोने के बिना आभूषण तैयार नहीं कर सकता, उसी प्रकार मैं तुम्हारे बिना सृष्टिरचना में समर्थ नहीं हो सकता। तुम सृष्टि की आधारभूता हो और मैं बीजरूप हूँ। जब मैं तुमसे अलग रहता हूँ, तब लोग मुझे ‘कृष्ण’ (काला-कलूटा) कहते हैं और जब तुम साथ हो जाती हो तब वे ही लोग मुझे ‘श्रीकृष्ण’ (शोभाशाली कृष्ण) कहते हैं।