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जप योग
शास्त्रों में भी यज्ञों की अपेक्षा जप-यज्ञ को श्रेष्ठ बतलाया गया है । इसमें तो चाहे बालक हो, चाहे बूढ़ा, चाहे स्त्री हो या पुरुष, सभी को जप करने का समान अधिकार है । जानें, जप कितने प्रकार का होता है ?
साधक का गुप्त धन है जप माला
व्यक्ति को अपनी जप माला अलग रखनी चाहिए । दूसरे की माला पर जप नहीं करना चाहिए । जप की माला पर जब एक ही मन्त्र जपा जाता है, तो उसमें उस देवता की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है, माला चैतन्य हो जाती है ।