Home Tags नन्दी का रावण को श्राप

Tag: नन्दी का रावण को श्राप

रावण का उत्कर्ष और पतन

अभिमानी दशानन ने कैलासपर्वत को मूल से उखाड़कर अपने कंधों पर उठा लिया। पर्वत हिलते देखकर शिवजी ने कहा--’यह क्या हो रहा है? पार्वतीजी ने हंसते हुए कहा--’आपका शिष्य आपको गुरुदक्षिणा दे रहा है।’ यह अभिमानी रावण का कार्य है, ऐसा जानकर शिवजी ने उसे शाप देते हुए कहा--’अरे दुष्ट! शीघ्र ही तुझे मारने वाला उत्पन्न होगा।’ शिवजी ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबा दिया। दशानन का कंधा और हाथ पर्वत के नीचे दब गए तो वह जोर-जोर से रुदन करने लगा। दीर्घकाल तक रुदन करते-करते उसने भगवान शंकर की स्तुति की, जो ताण्डव स्तुति के नाम से प्रसिद्ध है।