‘श्रीकृष्ण’ नाम का माधुर्य एवं विभिन्न कार्यों को करते समय भगवान के विभिन्न नामों का स्मरण
’जब कृष्ण नाम जिह्वा पर नृत्य करता है तब बहुत-सी जिह्वाएं प्राप्त करने की तृष्णा बढ़ती है, जब श्रवणेन्द्रिय (कानों) में प्रवेश करता है तो अरबों कर्ण-प्राप्ति की लालसा होती है। मन के प्रांगण में नाममाधुरी के प्रवेश करने पर शेष सब इन्द्रियां उसके वश में हो जाती हैं। न जाने, ‘कृष्ण’ इन ढाई वर्णों में कितना अमृत भरा है।’
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