रसराज भगवान श्रीकृष्ण और महाभागा गोपियां

वन्दे नन्दव्रजस्त्रीणां पादरेणुमभीक्ष्णश:। यासां हरिकथोद्गीतं पुनाति भुवनत्रयम्।। (श्रीमद्भागवत १०।४७।६३) अर्थात्–हम उन गोकुल की व्रजांगनाओं की चरणरेणु को बार-बार श्रद्धासहित सिर पर चढ़ाते हैं, जिनकी भगवत्सम्बन्धिनी कथाएं तीनों लोकों को पावन करने वाली हैं। महाभागा गोपियां समस्त व्रजवासी (गोप-गोपियां) भगवान श्रीकृष्ण के माया से मुक्त परिकर (सहचर, सेवक) हैं। वे भगवान की आह्लादिनी शक्ति श्रीराधा की … Continue reading रसराज भगवान श्रीकृष्ण और महाभागा गोपियां