Home Tags Vishnu

Tag: Vishnu

भगवान विष्णु को समर्पित षट्पदी स्तोत्र

सच्चे हृदय से इन नियमों का पालन क्रमश: मनुष्य के मन को सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है । इन एक-एक सोपानों पर चढ़ते हुए मन धीरे-धीरे पूर्णता की ओर अर्थात् मोक्ष की ओर अग्रसर होता है ।

हजार नामों के समान फल देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के 28...

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘मैं अपने ऐसे चमत्कारी 28 नाम बताता हूँ जिनका जप करने से मनुष्य के शरीर में पाप नहीं रह पाता है । वह मनुष्य एक करोड़ गो-दान, एक सौ अश्वमेध-यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है ।

भगवान को पवित्रा क्यों धारण कराया जाता है ?

श्रावण शुक्ल एकादशी पवित्रा और पुत्रदा एकादशी के नाम से जानी जाती है । इस दिन भगवान को पवित्रा या पवित्रक अर्पण किया जाता है । वर्ष में एक बार किया गया पवित्रारोपण पूरे वर्ष भर की हुई श्रीहरि की पूजा का फल देने वाला है ।

भगवान विट्ठल और भक्त कूर्मदास

भगवान भक्त का ‘प्रेम’ ही चाहते हैं, बस प्रेम से उन्हें पुकारने, उनका नित्य स्मरण करने और उनके वियोग में विकल रहने की आवश्यकता है, उन्हें रीझते देर नहीं लगती, कोई पुकार करके तो देखे । यदि मनुष्य उनसे सच्चा प्रेम करें, तो वे अवश्य उसके हो जायेंगे फिर उसका जीवन ही धन्य हो जायेगा ।

चातुर्मास्य में करें ये कार्य, पायें पुण्य अपार

चातुर्मास्य के चार महीने हल्का सात्विक भोजन करें, शरीर को साफ-सुथरा रखें, भगवान की भक्ति को अपनायें जो आन्तरिक शान्ति देती है, थोड़ा दान-पुण्य करें जिससे आत्मा को संतुष्टि मिलती है, थोड़ा स्वाध्याय (पुराणों का पढ़ना) करें जिससे मनुष्य चिन्तामुक्त हो जाता है ।

एकादशी व्रत को सभी व्रतों का राजा क्यों कहते हैं ?

जैसे देवताओं में भगवान विष्णु, प्रकाश-तत्त्वों में सूर्य, नदियों में गंगा प्रमुख हैं वैसे ही व्रतों में सर्वश्रेष्ठ व्रत एकादशी-व्रत को माना गया है । इस तिथि को जो कुछ दान किया जाता है, भजन-पूजन किया जाता है, वह सब भगवान माधव के पूजित होने पर पूर्णता को प्राप्त होता है ।

भगवान रंगनाथ की प्रेम-पुजारिन आण्डाल

जैसे ही आण्डाल ने मन्दिर में प्रवेश किया, वह भगवान की शेषशय्या पर चढ़ गयी । चारों ओर दिव्य प्रकाश फैल गया और लोगों के देखते-ही-देखते आण्डाल सबके सामने भगवान श्रीरंगनाथ में विलीन हो गयी ।

भगवान विष्णु का पाषाणरूप है शालग्राम

तुलसी को छलने के कारण भगवान श्रीहरि को शाप देते हुए तुलसी ने कहा कि आपका हृदय पाषाण के समान है; अत: अब मेरे शाप से आप पाषाणरूप होकर पृथ्वी पर रहें । भगवान का वह पाषाणरूप ही शालग्राम हैं । शालग्राम शिला में भगवान की उपस्थिति का सबसे सुन्दर उदाहरण श्रीवृन्दावनधाम में श्रीराधारमणजी हैं जो शालग्राम शिला से ही प्रकट हुए हैं ।

भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा

गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?

अक्षय तृतीया पर करें इन चीजों का दान

अत्यन्त पवित्र तिथि अक्षय तृतीया को हुए भगवान विष्णु के तीन अवतारों के लिए इस दिन विशेष भोग अर्पित किया जाता है और साल में केवल एक ही दिन भगवान विष्णु की अक्षत से पूजा की जाती है । सामान्य दिनों में भगवान विष्णु की पूजा में अक्षत का प्रयोग नहीं किया जाता है ।
Exit mobile version