Home Tags History

Tag: history

सीता जी की चूड़ामणि

प्रभु श्रीराम के विवाह के बाद मां जानकी की मुंहदिखाई की रस्म शुरु हुई । कृपा की मूर्ति महारानी सुमित्रा ने जब घूंघट की ओट से जनकदुलारी का मुख देखा तो वे बस उन्हें देखती ही रह गईं और वात्सल्यवश नववधू को सौभाग्य का आशीर्वाद देते हुए उन्होंने अपने केशों से सजी चूडामणि को निकाल कर जानकी जी के जूड़े में सजा दिया ।

काशी तो काशी है, काशी अविनाशी है

‘काशी’ इस शब्द का अर्थ है—जहां शिवस्वरूप ब्रह्मज्योति प्रकाशित होती है । माना जाता है कि यहां देह-त्याग के समय भगवान शंकर मरणोन्मुख प्राणी के कान में तारक-मंत्र सुनाते हैं, उससे जीव को तत्त्वज्ञान हो जाता है और उसके सामने शिवस्वरूप ब्रह्म प्रकाशित हो जाता है । ब्रह्म में लीन होना ही अमृत पद प्राप्त कर लेना या मोक्ष है ।
Exit mobile version