Home Tags लक्ष्मी

Tag: लक्ष्मी

लक्ष्मी-प्रेम या भगवान से प्रेम

एक दिन श्रीहरिप्रिया लक्ष्मी जी ने अपने पति वैकुण्ठपति भगवान विष्णु से व्यंग्य करते हुए कहा—‘नाथ ! यह संसार जितना मुझे चाहता है, उतना आपको नहीं चाहता है । इस संसार के लोग जितने मेरे भक्त हैं, उतने आपके नहीं हैं । यह बात आप भी जानते हैं । क्या आपको इससे जरा भी दु:ख नहीं होता है ?’

अक्षय फल देने वाला लक्षवर्ति दान-व्रत

पुण्य के काम में धन व्यय करने से वह घटता नहीं बल्कि बढ़ता है । जैसे छोटे से बीज में महान वट वृक्ष छिपा रहता है, उसी प्रकार शुभ समय में किया गया छोटा-सा भी पुण्य महान फल देता है । लक्षवर्ति दान पूजा-विधि ।

लक्ष्मीजी ने गोमय को क्यों चुना अपना निवास-स्थान ?

भगवान श्रीकृष्ण को भी आश्चर्य होता था कि सभी प्रकार के ऐश्वर्य, ज्ञान, बल, ऋषि-मुनि, भक्त, राजागण व देवी-देवताओं का सर्वस्व समर्पण–ये सब मेरे पास एक ही साथ कैसे आ गए ? शायद ये मेरी गोसेवा का ही परिणाम है ।

दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय

दीपावली के दिन लक्ष्मी के साथ सभी देवताओं का पूजन कर उन सबका अपने घर में शयन का प्रबन्ध करना चाहिए जिससे वे लक्ष्मीजी के साथ वहीं निवास करें । नयी शय्या, नया बिस्तर व कमल आदि से सजा कर लक्ष्मीजी को घर में स्थिरभाव से निवास करने की प्रार्थना करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी घर में स्थिर रूप से निवास करती हैं ।

धनत्रयोदशी : समृद्धि की कामना का प्रथम दिन

लक्ष्मीजी दीपक की ज्योति में लीन होकर चारों दिशाओं में फैल गईं और भगवान विष्णु देखते ही रह गये । दूसरे दिन तेरस को किसान ने लक्षमीजी के बताये अनुसार ही कार्य किया । उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया । अब तो किसान हर साल तेरस को लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा । और यह तिथि ‘धनतेरस’ कहलाने लगी ।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जलायें संध्या काल में दीपक

संध्या काल प्रकाश रूप परमात्मा से जुड़ने का समय है इसलिए इस समय न तो खाना खाना चाहिए क्योंकि इससे अस्वस्थता आती है, न पढ़ना चाहिए क्योंकि पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और न ही काम भावना रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय के बच्चे आसुरी गुणों के होते हैं ।

लक्ष्मीजी के स्वरूप में छिपा संदेश

लक्ष्मीजी के स्वरूप में उनका एक हाथ सदैव धन की वर्षा करता हुआ दिखाई देता है । इसका भाव है कि समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सदैव सत्कार्यों और परोपकार के लिए मुक्त हस्त से दान देना चाहिए । दान से लक्ष्मीजी संतुष्ट और प्रसन्न होती हैं ।

महालक्ष्मी पूजन की दिव्य विधि

लक्ष्मी पूजन की दिव्य विधि जिससे इन्द्र ने पुन: प्राप्त की राज्यलक्ष्मी, महालक्ष्मी का मूलमन्त्र, व स्तोत्र

अलक्ष्मी तथा लक्ष्मी का प्रादुर्भाव व उनके निवासयोग्य स्थान

समुद्रमंथन से काषायवस्त्रधारिणी, पिंगल केशवाली, लाल नेत्रों वाली, अत्यन्त बूढ़ी, दन्तहीन तथा चंचल जिह्वा को बाहर निकाले हुए, घट के समान पेट वाली एक ऐसी ज्येष्ठा नाम वाली देवी उत्पन्न हुईं, जिन्हें देखकर सारा संसार घबरा गया।
Exit mobile version