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स्त्रियां अपने मन में कोई बात क्यों नहीं छिपा पाती हैं...

एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘स्त्रियों के पेट में कोई बात नहीं पचती है ।’ यह केवल कहावत नहीं है वरन् सच्चाई है जिसका वर्णन महाभारत के शान्तिपर्व में है ।

सौ हाथों से कमाओ और हजार हाथों से दान करो

क्यों द्रौपदी का भोजनपात्र कभी नहीं होता था खाली

मन को शान्ति देने वाला है श्रीकृष्ण नाम

अठारह पुराणों व ‘महाभारत’ की रचना भी न दे सकी वेदव्यासजी को मन की शान्ति।

सूर्य अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र : युधिष्ठिर को अक्षयपात्र की प्राप्ति

भुवन-भास्कर भगवान सूर्य परमात्मा नारायण के साक्षात् प्रतीक हैं, इसलिए वे सूर्यनारायण कहलाते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए कहा है--‘ज्योतिषां रविरंशुमान्’ अर्थात् मैं (परमब्रह्म परमात्मा) तेजोमय सूर्यरूप में हूं। सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं, इस ब्रह्माण्ड के केन्द्र हैं--आकाश में देखे जाने वाले नक्षत्र, ग्रह और राशिमण्डल इन्हीं की आकर्षण शक्ति से टिके हुए हैं।
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