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विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ की महिमा

एक बार युधिष्ठिर ने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण ध्यान में बैठे हैं । ध्यान पूर्ण होने पर युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा—‘प्रभु ! सब लोग आपका ध्यान करते हैं, आप किसका ध्यान कर रहे थे ?’ भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘मेरा भक्त गंगा तट पर शरशय्या पर पड़ा मेरा ध्यान कर रहा है और मैं अपने उस प्रिय भक्त का ध्यान कर रहा हूँ ।’

जप योग

शास्त्रों में भी यज्ञों की अपेक्षा जप-यज्ञ को श्रेष्ठ बतलाया गया है । इसमें तो चाहे बालक हो, चाहे बूढ़ा, चाहे स्त्री हो या पुरुष, सभी को जप करने का समान अधिकार है । जानें, जप कितने प्रकार का होता है ?

नित्य पाठ के लिए मां भवानी का शरणागति स्तोत्र : भवान्यष्टकस्तोत्रम्

मैं अपार भवसागर में पड़ा हूँ, महान दु:खों से भयभीत हूँ, कामी, लोभी, मतवाला तथा घृणायोग्य संसार के बन्धनों में बँधा हुआ हूँ, हे भवानि! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।
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