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जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीमद्भगवद्गीता

संसार में जीवन जीने की कला एक विद्या है। यदि हम उस विद्या को अच्छी तरह जान जाएं तो हमारा बेड़ा पार है। गीता जीवन जीने की कला सिखाने वाली ब्रह्मविद्या है।

अनन्त शास्त्रों का सार ‘श्रीमद्भगवद्गीता’

श्रीमद्भगवद्गीता भगवान के विभूतिरूप मार्घशीर्षमास में, भगवान की प्रिय तिथि शुक्लपक्ष की एकादशी (मोक्षदा एकादशी) को धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से निकली हुई वाणी है जो उन्होंने अर्जुन को निमित्त बनाकर कही है। एक ही शास्त्र है--'श्रीमद्भगवद्गीता'; एक ही आराध्य हैं--देवकीनन्दन भगवान श्रीकृष्ण, एक ही मन्त्र है--उनका नाम (कृष्ण, गोविन्द, माधव, हरि, गोपाल आदि) और हमारा एक ही कर्त्तव्य है--भगवान श्रीकृष्ण की सेवा-पूजा और श्रद्धा से उन्हें हृदय में धारण करना।
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