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क्यों है श्रीगणेश को दूर्वा अत्यन्त प्रिय ?

अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और देत्यों ने जब क्षीरसागर को मथने के लिए मन्दराचल पर्वत की मथानी बनायी तो भगवान विष्णु ने अपनी जंघा पर हाथ से पकड़कर मन्दराचल को धारण किया था । मन्दराचल पर्वत के तेजी से घूमने से रगड़ के कारण भगवान विष्णु के जो रोम उखड़ कर समुद्र में गिरे, वे लहरों द्वारा उछाले जाने से हरे रंग के होकर दूर्वा के रूप में उत्पन्न हुए ।

श्रीगणेश आराधना दूर करती है दुर्गुण और दुर्भावना

श्रीगणेश ने अपने आठ प्रमुख अवतारों में जिन असुरों का वध किया है उनके नामों को देखने से स्पष्ट होता है कि श्रीगणेश मनुष्य के अंत:करण में छिपे उसके वास्तविक शत्रुओं—काम-क्रोध, लोभ-मोह, मद आदि का नाश करते हैं ।

श्रीगणेशगीता : एक परिचय

श्रीगणेशगीता के ४१४ श्लोक दिखलाते हैं मुक्ति का मार्ग

कैसा है श्रीगणेश का दिव्यलोक?

जैसे क्षीरसागर में भगवान नारायण शयन करते हैं वैसे ही श्रीगणेश इक्षुरस के सागर में शोभायमान हैं।

श्रीगणेश : कुछ रोचक तथ्य

क्या है श्रीगणेश के विभिन्न अंगों और चढ़ायी जाने वाली वस्तुओं का रहस्य?

गणेशजी का परिवार

गणेशजी की प्रसन्नता के लिए उनके साथ उनके परिवार---पत्नी और पुत्रों का चिन्तन करने से सर्वसिद्धियों का फल मिलता है। अज्ञान और भ्रान्तियों का नाश होता है तथा समस्त मंगल अपने आप उपस्थित हो जाते हैं।

श्रीगणेश से सम्बन्धित प्रचलित लोक कथाएँ

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।