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अपने वंशजों से क्या चाहते हैं पितर : पितृ गीत

विष्णुपुराण में पितरों के वे वाक्य हैं जो ‘पितृ गीत’ के नाम से जाने जाते हैं । इस गीत से पता लगता है कि पितरगण अपने वंशजों (संतानों) से पिण्ड-जल और नमस्कार आदि पाने के लिए कितने लालायित रहते हैं ।

श्राद्ध का प्रचलन कब शुरु हुआ ?

मरे हुए मनुष्य अपने वंशजों द्वारा पिण्डदान पाकर प्रेतत्व के कष्ट से छुटकारा पा जाते हैं । पितरों की भक्ति से मनुष्य को पुष्टि, आयु, लंतति, सौभाग्य, समृद्धि, रामनापूर्ति, वाक्सिद्धि, विद्या और सभी सुखों की प्राप्ति होती है । सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, भवन और सुख साधन श्राद्ध कर्ता को स्वयं ही सुलभ हो जाते हैं ।

पितरों का आभार व्यक्त करने की तिथि है अमावस्या

जिस घर में पितर प्रसन्न रहते हैं वहां परिवार में सुख-शान्ति, धन-सम्पत्ति व संतान भी श्रेष्ठ होती है । अत: कैसे करें अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न ?

श्राद्ध-कर्म में ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’

श्राद्ध-कर्म में खीर के दान से पितृगण रहते हैं एक वर्ष तक तृप्त

श्राद्ध की वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती हैं?

श्राद्ध क्या है, इसे क्यों करना चाहिए, इसके करने से क्या लाभ होता है और न करने से क्या हानि होती है?