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भगवान शिव के पार्थिव पूजन की सरल विधि

कलियुग में पार्थिव शिवलिंगों की पूजा करोड़ों यज्ञों का फल देने वाली है । भगवान शिव का किसी पवित्र स्थान पर किया गया पार्थिव पूजन भोग और मोक्ष दोनों देने वाला है । पार्थिव पूजन करने का अधिकार स्त्री व सभी जातियों के लोगों को है ।

मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र

भगवान शंकर की कृपा से मार्कण्डेयजी ने मृत्यु पर विजय और असीम आयु पाई । भगवान शंकर ने उन्हें कल्प के अंत तक अमर रहने और पुराण के आचार्य होने का वरदान दिया । मार्कण्डेयजी ने मार्कण्डेयपुराण का उपदेश किया और बहुत से प्रलय के दृश्य देखे हैं ।

भगवान शिव के पूजन के लिए स्तुति एवं प्रार्थनाएं

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में यदि भगवान शिव की पूजा के लिए समय न निकाल पाएं तो केवल मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष शिव को प्रसन्न किया जा सकता है । जानें, भगवान शिव की कुछ स्तुतियां ।

अक्षय फल देने वाली तिथि है सोमवती अमावस्या

यदि अमावस्या भगवान शिव को अति प्रिय सोमवार के दिन हो तो उसे ‘सोमवती अमावस्या’ या ‘सोमोती मावस’ कहते हैं । इस दिन किए गए छोटे-छोटे पुण्य-कार्यों से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है और मनुष्य का भाग्योदय होकर दु:ख के बादल सुख की वर्षा में बदल जाते हैं ।

किस कामना के लिए करें कौन से पुष्प से शिव पूजा

भगवान शिव की पूजा के पुष्प भगवान शिव पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्व पत्र और...

शिव पूजन में बम बम भोले क्यों कहते हैं ?

शिव पूजा चाहें वह श्रावण मास में करें या नित्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा के अंत में गाल बजाकर ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम बम’ का उच्चारण किया जाता है ।

विभिन्न देवताओं के प्रिय पुष्प

जानें, किस देव को हैं कौन से पुष्प प्रिय ?

शिव को अतिप्रिय रुद्राभिषेक और रुद्राष्टाध्यायी

भगवान शिव के मनभावन श्रावणमास में और शिवरात्रि पर प्राय: सभी शिवमन्दिरों में रुद्राभिषेक या रुद्री पाठ की बहार देखने को मिलती...

जलधारा, पुष्पों व धान्यों से शिवपूजा का फल

भगवान शिव ने अपने कण्ठ में कालकूट विष को धारण कर रखा है। उस विषाग्नि को शान्त करने के लिए उनके मस्तक पर गंगा और चन्द्रकला दो फायरब्रिगेड का कार्य करते हैं। उसी विषाग्नि की तीव्रता को शान्त करने के लिए भगवान शिव का शीतल वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। जैसे--कच्चा दूध, गंगाजल, पंचामृत, गुलाबजल, इक्षुरस (गन्ने का रस), चंदन मिश्रित जल, कुश-पुष्पयुक्त जल, सुवर्ण एवं रत्नयुक्त जल (रत्नोदक) व नारियल का जल आदि।