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राधा तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन

राधा श्रीकृष्ण की भक्ता हैं, प्रेमिका हैं, उपासिका-आराधिका हैं । श्रीराधा श्रीकृष्ण की शक्ति हैं, श्रीराधा श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं । लेकिन श्रीराधा को यह गौरव कैसे प्राप्त हुआ, इससे सम्बन्धित एक प्रसंग ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है ।

भगवान श्रीकृष्ण और चंद्रावली सखी

ब्रज-सखी चंद्रावली भादप्रद शुक्ल की चौथ को हाथ में पूजा का थाल लेकर चंद्रमा के पूजन-दर्शन के लिए छत पर गई और चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए बोली—‘हे चंद्रदेवता ! हमारे ऊपर कृपा करो ।’ नारद जी ने जब चंद्रावली सखी को चौथ की रात्रि में चंद्रदर्शन करते हुए देखा तो उससे कहा—‘अरी बाबरी ! ये क्या कर रही है । तुझे व्यर्थ में ही कलंक लग जाएगा ।’

आह्लादिनी शक्ति श्रीराधा की अलौकिक लीला

भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाएं तो हमें चमत्कृत करती ही हैं; पुराणों में श्रीराधा की भी ऐसी अलौकिक लीलाएं पढ़ने को मिलती हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि श्रीराधा वास्तव में कोई साधारण गोपी नहीं; बल्कि श्रीकृष्ण की तरह ही ‘परा देवता’ हैं । जानें, श्रीराधा का एक ऐसा ही अलौकिक लीला प्रसंग—‘श्रीराधा का अलौकिक भोजन और दुर्वासा ऋषि ।‘

श्रीराधा का अद्भुत ऐश्वर्य और कंस की पराजय

श्रीराधा की ऐसी अद्भुत ऐश्वर्य शक्ति थी कि कंस के असुर बरसाने की सीमा से बहुत बच कर रहते थे; क्योंकि उनके मन में भय लगा रहता था कि यदि हम भी सखी बन गए तो गोपियां हमसे भी न जाने कब तक गोबर थपवाएंगी ।

भक्तवांछा कल्पतरु ठाकुर श्री राधारमण जी

ब्रह्म भले ही निर्गुण हो पर उपासना के लिए वह सगुण होकर आकार विशेष ग्रहण करता है । जैसे भगवान विष्णु सर्वव्यापक हैं फिर भी उनकी उपस्थिति (संनिधि) शालग्राम जी में होती है । जिस प्रकार प्रहृलाद जी के लिए भगवान खंभे से प्रकट हुए, नामदेव जी के लिए ब्रह्मराक्षस में से प्रकट हो गए थे; वैसे ही श्री गोपाल भट्ट की इच्छा पूर्ति के लिए श्री राधारमण जी की सुन्दर मूर्ति शालिग्राम से प्रकट हो गई थी । इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, भक्ति का प्रताप ही ऐसा है ।

श्रीराधा के 108 नाम

श्रीराधा वास्तव में कोई एक मानवी स्त्री नहीं हैं । वे भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति हैं, इसीलिए उनका नाम सुनने के लिए श्रीकृष्ण नाम लेने वाले के पीछे-पीछे चलने लगते हैं । श्रीराधा नाम की इतनी महिमा जानने के बाद यदि उनके 108 नाम का पाठ कर लिया जाए तो उसका कितना फल होगा, बताया नहीं जा सकता । इसीलिए इस पोस्ट में श्रीराधा के 108 नाम दिए गए हैं ।

करुणामयी, कृष्णमयी, त्यागमयी श्रीराधा

श्रीकृष्ण की आत्मा श्रीराधा का चरित्र अथाह समुद्र के समान है जिसकी गहराई को नापना असंभव है; अर्थात् श्रीराधा-चरित्र के विभिन्न पहलुओं का पूर्णत: वर्णन करना असम्भव है । फिर भी पाठकों की सुविधा के लिए उस समुद्र में डुबकी लगा कर कुछ मोती ढूंढ़ ही लेते हैं ।

श्रीराधा की जन्म-आरती, बधाई और पलना के पद

राजा वृषभानु ने श्रीराधा के झूलने के लिए चंदन की लकड़ी का पालना बनवाया जिसमें सोने-चांदी के पत्र और जवाहरात लगे थे। पालने में श्रीजी के झूलने के स्थान को नीलमणि से बने मोरों की बेलों से सजाया गया था ।

श्रीकृष्ण-कृपा प्राप्ति के लिए पढ़े श्रीराधा चालीसा

श्रीराधा की स्तुति में गाई जाने वाली श्रीराधा चालीसा के पठन से श्रीराधा साधक को अपने चरणकमलों की भक्ति प्रदान करती हैं, साथ ही श्रीकृष्ण भी अपना कृपाकटाक्ष साधक पर बरसा देते हैं । साथ ही साधक को व्रज-वृन्दावन में निवास का वर देते हैं ।

श्रीराधा की नाममाला में गूंथा है ‘आनन्दचन्द्रिका’ स्तोत्र

श्रीरूपगोस्वामीजी ने श्रीराधा के दस नामों की माला पिरोकर ‘आनन्दचन्द्रिका’ नामक स्तवराज (स्तोत्रों का राजा) लिखा जो भक्तों के समस्त क्लेशों दूर करने वाला और परम सौभाग्य देने वाला है ।