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‘हरे राम हरे कृष्ण’ मंत्र का अर्थ

द्वापर के अंत में नारद जी ब्रह्मा जी के पास जाकर बोले—‘भगवन् ! मैं पृथ्वीलोक में किस प्रकार कलि के दोषों से बच सकता हूँ ।’ ब्रह्माजी ने कहा—‘भगवान आदिनारायण के नामों का उच्चारण करने से मनुष्य कलि के दोषों से बच सकता है ।’ नारद जी ने पूछा—‘वह कौन-सा नाम है ?’

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:

मानव जीवन की दो प्रधान भावनाएं हैं—स्वार्थ भावना और परहित भावना । स्वार्थ भावना मनुष्य के हृदय को संकीर्ण और निम्न स्तर का बना देती है; लेकिन परहित की भावना मनुष्य के हृदय को उज्ज्वल कर विशाल बना देती है । दूसरों के दु:ख दूर करने से स्वयं में आनन्द का आभास होता है । परमात्मा को भी ऐसे ही मनुष्य अत्यंत प्रिय होते हैं । इस प्रकार की प्रार्थना करने वाले मनुष्यों की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं ।

हरितालिका तीज : व्रत-पूजन विधि व मंत्र

हरितालिका तीज व्रत भाद्रप्रद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है । पार्वती जी ने कठोर तप के द्वारा इस दिन भगवान शिव को प्राप्त किया था । कुंवारी लड़कियों द्वारा इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहे पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियां इस व्रत को करती हैं तो उन्हें अखण्ड सुहाग की प्राप्ति होती है । यह कठिन व्रत बहुत ही त्याग और निष्ठा के साथ किया जाता है । इस व्रत में मुख्य रूप से शिव-पार्वती और गणेश जी का पूजन किया जाता है ।

सुबह उठ कर भूमि-वंदन क्यों करना चाहिए ?

वाराहकल्प में जब हिरण्याक्ष दैत्य पृथ्वी को चुराकर रसातल में ले गया, तब भगवान श्रीहरि हिरण्याक्ष को मार कर रसातल से पृथ्वी को ले आए और उसे जल पर इस प्रकार रख दिया, मानो तालाब में कमल का पत्ता हो । इसके बाद ब्रह्मा जी ने उसी पृथ्वी पर सृष्टि रचना की । उस समय वाराहरूपधारी भगवान श्रीहरि ने सुंदर देवी के रूप में उपस्थित भूदेवी का वेदमंत्रों से पूजन किया और उन्हें ‘जगत्पूज्य’ होने का वरदान दिया ।

भगवान श्रीकृष्ण की नरकासुर वध लीला

पुराणों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर संसार को भय मुक्त किया था; इसलिए इस दिन हर प्रकार के भय से मुक्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण की इस मंत्र से पूजा-अर्चना करनी चाहिए, इससे मनुष्य नरक का भागी नहीं होता है ।

मंगल देवता : कथा, मन्त्र, स्तोत्र, व्रत-विधि, दान और उपाय

धरतीपुत्र मंगल आप ऋण हरने वाले और रोगनाशक हैं । रक्त वर्ण, रक्तमालाधारी, ग्रहों के नायक आपकी आराधना करने वाला अपार धन और पारिवारिक सुख पाता है ।

काशी को ‘आनन्दवन’ क्यों कहते हैं ?

जीव का मृत्युकाल निकट आने पर जब भगवान शंकर उस मरणासन्न प्राणी को अपनी गोद में रखकर उसे तारक मन्त्र का उपदेश करने लगते हैं; उस समय अत्यंत करुणामयी देवी अन्नपूर्णा उस मरणासन्न प्राणी की व्याकुलता को देखकर अत्यंत द्रवित हो जाती हैं और कस्तूरी की गंध वाले अपने आंचल से उस प्राणी की हवा करने लगती हैं और उसकी समस्त व्याकुलता दूर कर देती हैं ।

भगवान श्रीकृष्ण का सबसे लोकप्रिय मन्त्र (अर्थ सहित)

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं—‘अर्जुन ! जो मेरे नामों का गान करके मेरे निकट नाचने लगता है, या जो मेरे नामों का गान करके मेरे समीप प्रेम से रो उठते हैं, उनका मैं खरीदा हुआ गुलाम हूँ; यह जनार्दन दूसरे किसी के हाथ नहीं बिका है–यह मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूँ ।’

कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला ‘दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्र’

भगवान शिव ने देवी से कहा—कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्धि हेतु यदि कोई उपाय हो तो उसे बताइये । इस पर देवी ने कहा—‘कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्ध करने वाला सर्वश्रेष्ठ साधन है ‘अम्बास्तुति’ ।

भद्रा कौन है और इसमें कौन-से कार्य करने का निषेध है...

एक पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों से पराजित देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शंकर के शरीर से गर्दभ (गधे) के समान मुख वाली, कृशोदरी (पतले पेट वाली), पूंछ वाली, मृगेन्द्र (हिरन) के समान गर्दन वाली, सप्त भुजी, शव का वाहन करने वाली और दैत्यों का विनाश करने वाली भद्रा उत्पन्न हुई ।