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चर्पट पंजरिका स्तोत्र

माता-पिता, भाई-बंधु, स्त्री-पुत्र, अपना शरीर, धन, मकान, मित्र और परिवार ये सब ममता के कच्चे धागे हैं । मनुष्य ममता के इन कच्चे धागों को बटोर कर एक मजबूत रस्सी बना ले और उसे भगवान के चरणकमलों से बांध दे । ममता के ये धागे कच्चे इसलिए हैं; क्योंकि जरा सा स्वार्थ टकराया, ये टूट जाते हैं । ममता दु:खरूप वासना है; परंतु भगवान का प्रेम मोक्षप्रद और उपासना है ।

भगवान श्रीराम का सौ नामों का (शतनाम) स्तोत्र

त्रिलोकी में यदि श्रीराम का कोई सबसे बड़ा भक्त या उपासक है तो वे हैं भगवान शिव जो ‘राम-नाम’ महामन्त्र का निरन्तर जप करते रहते हैं । भगवान शिव ने प्रभु श्रीराम की सौ नामों का द्वारा स्तुति की है, जिसे ‘श्रीराम शतनाम स्तोत्र’ कहते हैं । यह स्तोत्र आनन्द रामायण, पूर्वकाण्ड (६।३२-५१) में दिया गया है ।

भगवान व्यास कृत भगवती स्तोत्र

जो मनुष्य कहीं भी रह कर पवित्र भावना से नियमपूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती (दुर्गा) सदा ही प्रसन्न रहती हैं ।

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन

प्रभु श्रीरामचंद्रजी की यह आरती सबके संकटों और पीड़ाओं को हर लेने वाली है । इसके गायन से मनुष्य के दु:ख और पाप जल जाते हैं । यह आरती भक्तों के मन में स्थित अज्ञान के अंधकार को मिटा कर ज्ञान का सुंदर प्रकाश फैला देती है ।

वेद में परमात्मा की स्तुति : पुरुष सूक्त

वेदों में मनुष्य के कल्याण के लिए ‘सूक्त’ रूपी अनेक मणियां हैं । सूक्त में देवी या देवता विशेष के ध्यान, पूजन तथा स्तुति का वर्णन होता है । इन सूक्तों के जप और पाठ से सभी प्रकार के क्लेशों से मुक्ति मिल जाती है, व्यक्ति पवित्र हो जाता है और उसे मनो अभिलाषित की प्राप्ति होती है । विराट् पुरुष के वैदिक स्तवन पुरुष सूक्त की बड़ी महिमा है । इसके नित्य पाठ से मनुष्य परम तत्त्व को जानने में सक्षम होता है और उसकी मेधा, प्रज्ञा और भक्ति की वृद्धि होती है ।

भय से मुक्ति के लिए गौ स्तुति

गाय की सेवा करने से जीते-जी तो हर प्रकार का सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती ही है, गोदान करने से मरने के बाद यमराज का भय नहीं रहता है ।

भगवान विष्णु को समर्पित षट्पदी स्तोत्र

सच्चे हृदय से इन नियमों का पालन क्रमश: मनुष्य के मन को सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है । इन एक-एक सोपानों पर चढ़ते हुए मन धीरे-धीरे पूर्णता की ओर अर्थात् मोक्ष की ओर अग्रसर होता है ।

श्रीराधा कृष्ण की युगल उपासना स्तोत्र : युगलकिशोराष्टक

हिन्दी अर्थ सहित -- नवजलधर विद्युद्धौतवर्णौ प्रसन्नौ, वदननयन पद्मौ चारूचन्द्रावतंसौ । अलकतिलक भालौ केशवेशप्रफुल्लौ, भज भजतु मनो रे राधिकाकृष्णचन्द्रौ ।।१।।