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सीताजी का गायत्री-मन्त्र और 10 नाम की महिमा

श्रीरामवल्लभा सीताजी जीवों के लिए सभी प्रकार के श्रेय को देने वाली हैं । उन की कृपा से जीव भौतिक सुख और साधन पाकर इस संसार में सभी प्रकार की समृद्धियों का उपभोग करता है और लौकिक आनंद से आह्लादित होता है । यही सीताजी की महिमा है ।

चौबीस देवताओं के चौबीस गायत्री मन्त्र

देवताओं की गायत्रियां वेदमाता गायत्री की छोटी-छोटी शाखाएं है, जो तभी तक हरी-भरी रहती हैं, जब तक वे मूलवृक्ष के साथ जुड़ी हुई हैं। वृक्ष से अलग कट जाने पर शाखा निष्प्राण हो जाती है, उसी प्रकार अकेले देव गायत्री भी निष्प्राण होती है, उसका जप महागायत्री (गायत्री मन्त्र) के साथ ही करना चाहिए।