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कर्मफलदाता शनिदेव : एक परिचय

शनिदेव का रंग काला, अवस्था वृद्ध, आकृति दीर्घ, लिंग नपुंसक, वाहन गिद्ध, वार शनिवार, धातु लोहा, रत्न नीलम, उपरत्न जमुनिया या लाजावर्त, जड़ी बिछुआ, बिच्छोलमूल (हत्था जोड़ी) व समिधा शमी है ।

राजा नल को कैसे मिली शनि पीड़ा से मुक्ति ?

नवग्रहों में शनि को दण्डनायक व कर्मफलदाता का पद दिया गया है । यदि कोई अपराध या गलती करता है तो उनके कर्मानुसार दण्ड का निर्णय शनिदेव करते हैं । वे अकारण ही किसी को परेशान नहीं करते हैं, बल्कि सबको उनके कर्मानुसार ही दण्ड का निर्णय करते हैं ।

शनि की पीड़ा से मुक्ति का सबसे प्रभावशाली उपाय

शनिदेव को प्रसन्न करने का प्रभावशाली उपाय जिसको करने से मिलती है शनिदोष से मुक्ति