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अहंकार से बचने के लिए क्या कहती है गीता

अर्जुन को लगता था कि भगवान श्रीकृष्ण का सबसे लाड़ला मैं ही हूँ । उन्होंने मेरे प्रेम के वश ही अपनी बहिन सुभद्रा को मुझे सौंप दिया है, इसीलिए युद्धक्षेत्र में वे मेरे सारथि बने । यहां तक कि रणभूमि में स्वयं अपने हाथों से मेरे घोड़ों के घाव तक भी धोते रहे । यद्यपि मैं उनको प्रसन्न करने के लिए कुछ नहीं करता फिर भी मुझे सुखी करने में उन्हें बड़ा सुख मिलता है ।

भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत अतिथि-सेवा

कृष्णावतार में जरा व्याध ने प्रभास क्षेत्र में मृग के संदेह में जो बाण मारा वह भगवान श्रीकृष्ण के चरण में लगा और भगवान नित्यलीला में प्रविष्ट हो गए । व्याध ने श्रीकृष्ण के तलवे में ही क्यों बाण मारा? इसके पीछे है दुर्वासा ऋषि द्वारा श्रीकृष्ण को दिए गए वरदान की कथा |

तीर्थयात्रा का फल

घर पर रह कर भी कैसे पा सकते हैं तीर्थयात्रा का फल

सौ हाथों से कमाओ और हजार हाथों से दान करो

क्यों द्रौपदी का भोजनपात्र कभी नहीं होता था खाली

विश्व-रंगमंच के सूत्रधार श्रीकृष्ण

गांधारी की तेजदृष्टि से वज्र-सी देह होने पर भी क्यों मारा गया दुर्योधन?

क्यों भक्त की चोट भी सहते हैं भगवान

महाभारत-युद्ध में किसको छूते ही वैष्णवास्त्र बन गया वैजयन्तीमाला