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घोर संकट व भय का नाश करने वाली देवी दुर्गा की...

एक बार देवताओं ने देवी से कहा—‘जगत के कल्याण के लिए हम आपसे पूछना चाहते हैं कि ऐसा कौन-सा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए जीव की रक्षा करती हैं ।’

भगवान व्यास कृत भगवती स्तोत्र

जो मनुष्य कहीं भी रह कर पवित्र भावना से नियमपूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती (दुर्गा) सदा ही प्रसन्न रहती हैं ।

देवी सरस्वती की पूजाविधि और मन्त्र

देवी सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं और शब्द-ब्रह्म के रूप में इनकी उपासना की जाती है । विद्या को ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धन माना गया है । देवी सरस्वती की पूजा-उपासना के लिए माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी (बसंत पंचमी) तिथि निर्धारित की गयी है ।

देवी भुवनेश्वरी का अद्भुत रूप : माता भ्रामरी

माता भ्रामरी ने अपने हाथ के और चारों तरफ के भ्रमरों को प्रेरित किया और वे असंख्य भ्रमर ‘ह्रीं-ह्रीं’ करते हुए अरुण दानव की ओर उड़ चले । उन काले-काले भ्रमरों से सूर्य छिप गया और चारों तरफ अंधकार छा गया । वे भ्रमर अरुण दानव और उसकी दैत्य सेना के शरीर से चिपक कर उसे काटने लगे । दानव असीम वेदना से छटपटाने लगे और जो जहां था, वहीं गिरकर मर गया ।

देवी दुर्गा के सोलह नाम और उनका अर्थ

सबसे पहले परमात्मा श्रीकृष्ण ने सृष्टि के आदिकाल में गोलोक स्थित वृन्दावन के रासमण्डल में देवी की पूजा की थी । दूसरी बार भगवान विष्णु के सो जाने पर मधु और कैटभ से भय होने पर ब्रह्माजी ने उनकी पूजा की। तीसरी बार त्रिपुर दैत्य से युद्ध के समय महादेवजी ने देवी की पूजा की । चौथी बार दुर्वासा के शाप से जब देवराज इन्द्र राजलक्ष्मी से वंचित हो गए तब उन्होंने देवी की आराधना की थी । तब से मुनियों, सिद्धों, देवताओं तथा महर्षियों द्वारा संसार में सब जगह देवी की पूजा होने लगी।

देवी की पूजा में ज्योति क्यों जगायी जाती है ?

देवी की पूजा—अष्टमी, नवरात्र व जागरण आदि में माता के ज्योति अवतार के रूप में ज्योति जगायी जाती है और देवी की प्रतीक ज्योति में लोंग का जोड़ा, बताशा, नारियल की गिरी, घी, हलुआ-पूरी आदि का भोग लगाया जाता है ।

दस महाविद्याओं की आराधना का पर्व है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की साधना से साधक की आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है । साथ ही हर कार्य में विजय, धन-धान्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है । इसके अतिरिक्त दस महाविद्या की कृपा से मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तम्भन आदि प्रयोग सिद्ध होते हैं ।

आद्याशक्ति दुर्गा और नवरात्र

देवीपुराण के अनुसार दुर्गा शब्द में ‘द’कार दैत्यनाशक, ‘उ’कार विघ्ननाशक, ‘रेफ’ रोगनाशक, ‘ग’कार पापनाशक तथा ‘आ’कार भयशत्रुनाशक है। अत: ‘दुर्गा दुर्गतिनाशिनी’--का अर्थ ही है ‘जो दुर्गति का नाश करे’ क्योंकि यही पराशक्ति पराम्बा दुर्गा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति है।