Home Tags दुर्गा

Tag: दुर्गा

घोर संकट व भय का नाश करने वाली देवी दुर्गा की...

एक बार देवताओं ने देवी से कहा—‘जगत के कल्याण के लिए हम आपसे पूछना चाहते हैं कि ऐसा कौन-सा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए जीव की रक्षा करती हैं ।’

देवी दुर्गा की काव्यमय अर्गला स्तुति

यहां ‘दुर्गा सप्तशती’ का अर्गला स्तोत्र सरल भाषा में काव्य रूप में (पद्यानुवाद) दिया जा रहा है; जिससे देवी के भक्तजन नवरात्रि में और नित्य इसका पाठ कर अभीष्ट फल को प्राप्त कर सकें । अर्गला स्तोत्र के पाठ से मनुष्य का जीवन निर्द्वन्द्व (कलह, क्लेश, शत्रु विहीन) हो जाता है और वह जीवन में समस्त सुखों को प्राप्त करता है ।

नवरात्र में दुर्गा पूजन की विधि

कलश-स्थापन क्यों किया जाता है? कौन-से योग व नक्षत्रों में कलश-स्थापन नहीं करना चाहिए? कैसे करें घट-स्थापना के लिए कलश तैयार? कलश पर नारियल स्थापित करते समय रखें इन बातों का ध्यान, कलश में देवी-देवताओं का आवाहन, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें ये विशेष उपाय ।

कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला ‘दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्र’

भगवान शिव ने देवी से कहा—कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्धि हेतु यदि कोई उपाय हो तो उसे बताइये । इस पर देवी ने कहा—‘कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्ध करने वाला सर्वश्रेष्ठ साधन है ‘अम्बास्तुति’ ।

क्या है देवी दुर्गा के विभिन्न प्रतीकों का रहस्य ?

जब-जब लोक में दानवी बाधा उपस्थित हो जाती है, चारों ओर अनीति, अत्याचार फैल जाता है, तब-तब देवी पराम्बा विभिन्न नाम व रूप धारण कर प्रकट होती हैं और समाज विरोधी तत्वों का नाश करती हैं ।

मां दुर्गा का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र : नवार्ण मन्त्र

मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

करुणामयी मां शताक्षी (शाकम्भरी)

पुत्र कष्ट में हों तो मां कैसे सहन कर सकती है? फिर देवी तो जगन्माता हैं, उनके कारुण्य की क्या सीमा? त्रिलोकी की ऐसी व्याकुलता देखकर मां के अंत:स्तल में उठने वाला करुणा का आवेग अकुलाहट के साथ आंसू की धारा बनकर बह निकला। नीली-नीली कमल जैसी दिव्य आंखों में मां की ममता आंसू बनकर उमड़ आयी। दो आंखों से हृदय का दु:ख कैसे प्रकट होता? जगदम्बा ने कमल-सी कोमल सैंकड़ों आंखें बना लीं। सैंकड़ों आंखों से करुणा के आंसुओं की अजस्त्र धारा बह निकली।। इसी रूप में माता ने सबको अपने दर्शन कराए और जगत में ‘शताक्षी’ (शत अक्षी) कहलाईं। करुणार्द्र-हृदया मां व्याकुल होकर लगातार नौ दिन और नौ रात तक रोती रहीं।