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श्रीगणेश के सिर पर हाथी का ही मस्तक क्यों लगाया गया...

भगवान शंकर पार्वती जी को श्रीगणेश के स्वरूप में नर-गज संयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहते हैं—हाथी और मनुष्य की आयु समान (१२० वर्ष) निश्चित की गई है । उसी को समझाने के लिए तुम्हारे पुत्र ने यह रूप धारण किया है । अत: मानव को भी यह आयु प्राप्त करने का यत्न करना चाहिए । संसार में हाथी की पूजा करने वाला मनुष्य धन्य माना जाता है और जिसे हाथी स्वयं अपनी सूंड से सिर पर चढ़ाये, उसकी धन्यता का तो कहना ही क्या ? श्रीगणेश की आराधना से भी मनुष्य सब प्रकार की धन्यता प्राप्त कर लेता है ।

श्रीगणेश को अंगारकी चतुर्थी क्यों है अति प्रिय ?

विघ्नहर्ता गणेश के प्रसन्न होने से कोई भी चीज मनुष्य के लिए दुर्लभ नहीं रह जाती ! भौम ने ‘अंगारकी चतुर्थी’ का व्रत कर गणेश की आराधना की थी इसलिए वे सशरीर स्वर्ग गए और देवताओं के साथ अमृत का पान किया ।

करें श्रीगणेश का ध्यान, मिलेगा विद्या और बुद्धि का वरदान

जानें, विद्या प्राप्ति और तीव्र स्मरण-शक्ति के लिए श्रीगणेश का प्रात:कालीन ध्यान, साथ ही बुधवार को किए जाने वाले विशेष उपाय ।

हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति देने वाला गणेश स्तोत्र

ऋणहर स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है । इसका एक वर्ष तक प्रतिदिन एक बार एकाग्र मन से पाठ करने पर दुस्सह दरिद्रता दूर हो जाती है और मनुष्य को कुबेर के समान धन-सम्पत्ति प्राप्त होती है ।

क्यों है श्रीगणेश को दूर्वा अत्यन्त प्रिय ?

अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और देत्यों ने जब क्षीरसागर को मथने के लिए मन्दराचल पर्वत की मथानी बनायी तो भगवान विष्णु ने अपनी जंघा पर हाथ से पकड़कर मन्दराचल को धारण किया था । मन्दराचल पर्वत के तेजी से घूमने से रगड़ के कारण भगवान विष्णु के जो रोम उखड़ कर समुद्र में गिरे, वे लहरों द्वारा उछाले जाने से हरे रंग के होकर दूर्वा के रूप में उत्पन्न हुए ।

भगवान गणेश को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है ?

श्रीगणेश ने भी तुलसी को शाप देते हुए कहा—‘देवि ! तुम्हें भी असुर पति प्राप्त होगा और उसके बाद महापुरुषों के शाप से तुम वृक्ष हो जाओगी ।’

श्रीगणेश की 5 मिनट की संक्षिप्त पूजा विधि

तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन उनका स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।

मोदकप्रिय मुद मंगलदाता श्रीगणेश

श्रीगणेश का चतुर्थी तिथि में जन्म लेने का क्या कारण है? गणेश चतुर्थी पर कैसे करें श्रीगणेश को प्रसन्न ?

श्रीगणपति अथर्वशीर्ष : मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या

अथर्वशीर्ष शब्द में अ+थर्व+शीर्ष इन शब्दों का समावेश है। ‘अ’ अर्थात् अभाव, ‘थर्व’ अर्थात् चंचल एवं ‘शीर्ष’ अर्थात् मस्तिष्क--चंचलता रहित मस्तिष्क अर्थात् शांत मस्तिष्क। गणपति अथर्वशीर्ष मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या है।

विघ्न नाश के लिए सिद्धिविनायक स्तुति

विघ्नहर्ता श्रीगणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए सुन्दर स्तुति : ‘विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्’