श्रीगणेश के सिर पर हाथी का ही मस्तक क्यों लगाया गया...

भगवान शंकर पार्वती जी को श्रीगणेश के स्वरूप में नर-गज संयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहते हैं—हाथी और मनुष्य की आयु समान (१२० वर्ष) निश्चित की गई है । उसी को समझाने के लिए तुम्हारे पुत्र ने यह रूप धारण किया है । अत: मानव को भी यह आयु प्राप्त करने का यत्न करना चाहिए । संसार में हाथी की पूजा करने वाला मनुष्य धन्य माना जाता है और जिसे हाथी स्वयं अपनी सूंड से सिर पर चढ़ाये, उसकी धन्यता का तो कहना ही क्या ? श्रीगणेश की आराधना से भी मनुष्य सब प्रकार की धन्यता प्राप्त कर लेता है ।

महर्षि वेदव्यास द्वारा श्रीगणेश वंदना

प्रमुख पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यासजी ने चार श्लोकों में भगवान श्रीगणेश की रूप-माधुरी की स्तुति की है । यह श्रीगणेश के पौराणिक रूप का भव्य वर्णन है । यह स्तुति पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड (६६।२-३, ६-७) मे वर्णित है ।

श्रीगणेश को मोदक क्यों सबसे अधिक प्रिय है ?

गणेशजी की मोदक-प्रियता ने मानव जीवन में माधुर्य का संचार कर दिया है । घर में कोई शुभ अवसर हो, चाहें बच्चे का जन्म-उत्सव हो, मुण्डन संस्कार हो, बेटी या बेटे की सगाई, शादी या गौना हो, परीक्षा में सफलता हो, प्रमोशन हो, चुनाव में जीत बो या अन्य कोई खुशी का अवसर हो; सभी में बेसन की बूंदी से बने ‘मोतीचूर के लड्डुओं के बिना हृदय के आह्लाद-खुशी का प्रकटीकरण नहीं होता है ।

भगवान गणेश को सिंदूर क्यों लगाया जाता है ?

भगवान गजानन ने सिन्दूरासुर के पास पहुंचने पर विराट् रूप धारण कर लिया । उनका मस्तक ब्रह्माण्ड को और दोनों पैर पाताल को छूने लगे । गजानन का सहस्त्रशीर्ष, सहस्त्राक्ष और सहस्त्रपाद वाला विराट रूप सर्वत्र व्याप्त हो गया ।

हजार नामों के समान फल देने वाले श्रीगणेश के 21 नाम

श्रीगणेश का कथन है—जो व्यक्ति इन मोदक रूपी 21 नामों द्वारा मुझे भक्तिपूर्वक उपहार अर्पित करता है; मेरा प्रसाद चाहता है और मनोकामना पूर्ति के लिए एक वर्ष तक मुझ विघ्नराज के इस स्तोत्र का पाठ करता है, मुझमें मन लगाकर, मेरी आराधना में तत्पर रहकर मेरा स्तवन करता है, इन 21 नामों को पढ़ने से ही मेरी सहस्त्रनाम से स्तुति हो जाती है, इसमें कोई संशय नहीं है ।

श्रीमद् आदि शंकराचार्य द्वारा स्वर्ण की वर्षा

‘कनकधारा’ शब्द दो शब्दों कनक + धारा से मिलकर बना है । ‘कनक’ का अर्थ है स्वर्ण (सोना) और ‘धारा’ का अर्थ है ‘निरन्तर गिरना या धारा रूप में वर्षा होना । इसलिए ‘कनकधारा स्तोत्र’ का अर्थ हुआ वह स्तोत्र जिसके पाठ से लगातार स्वर्ण की वर्षा हुई ।

दीपावली को लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी व अन्य देवी-देवताओं की पूजा...

जानें, क्यों कार्तिक कृष्ण अमावस्या—दीपावली के दिन शुभ मुहुर्त में देवी महालक्ष्मी के साथ गणेशजी और अन्य देवी-देवताओं जैसे—शंकरजी, हनुमानजी, दुर्गाजी, सरस्वतीजी आदि की मिट्टी की नयी प्रतिमाओं का विशेष पूजन किया जाता है ।

श्रीगणेश को अंगारकी चतुर्थी क्यों है अति प्रिय ?

विघ्नहर्ता गणेश के प्रसन्न होने से कोई भी चीज मनुष्य के लिए दुर्लभ नहीं रह जाती ! भौम ने ‘अंगारकी चतुर्थी’ का व्रत कर गणेश की आराधना की थी इसलिए वे सशरीर स्वर्ग गए और देवताओं के साथ अमृत का पान किया ।

करें श्रीगणेश का ध्यान, मिलेगा विद्या और बुद्धि का वरदान

जानें, विद्या प्राप्ति और तीव्र स्मरण-शक्ति के लिए श्रीगणेश का प्रात:कालीन ध्यान, साथ ही बुधवार को किए जाने वाले विशेष उपाय ।

हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति देने वाला गणेश स्तोत्र

ऋणहर स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है । इसका एक वर्ष तक प्रतिदिन एक बार एकाग्र मन से पाठ करने पर दुस्सह दरिद्रता दूर हो जाती है और मनुष्य को कुबेर के समान धन-सम्पत्ति प्राप्त होती है ।