श्रीकृष्ण कृपा और भक्ति देने वाला ‘श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र’

श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र (कृष्णाष्टक) भगवान श्रीशंकराचार्य द्वारा रचित बहुत सुन्दर स्तुति है । बिना जप, बिना सेवा एवं बिना पूजा के भी केवल इस स्तोत्र मात्र के नित्य पाठ से ही श्रीकृष्ण कृपा और भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमलों की भक्ति प्राप्त होती है।

प्रात:काल की कौन-सी क्रियाएं बनाती हैं जीवन सुखी और सफल

जीवन जीना समय को ढोना नहीं बल्कि एक कला है। जीते तो सभी हैं पर जिसने अपना जीवन सार्थक बना लिया, उसी का जीना सही मायने में जीना है। प्रात:काल सोकर उठते समय यदि कुछ छोटे-छोटे उपाय कर लिए जाएं तो मनुष्य सुख, शान्ति व स्वस्थ जीवन प्राप्त कर सकता हैं। इन्हीं उपायों को ‘प्रात:काल के स्वर्णिम सूत्र (golden tips)’ कहते हैं। विभिन्न समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रात:काल स्मरण करें इन देवताओं के नाम।

श्रीराधा कृष्ण के साक्षात् दर्शन कराने वाला ‘श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तवराज’

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र के भक्तिपूर्वक पाठ से श्रीराधाजी प्रकट होकर प्रसन्नतापूर्वक वरदान देती हैं अथवा अपने चरणों का महावर (जावक) भक्त के मस्तक पर लगा देती हैं। वरदान में केवल ‘अपनी प्रिय वस्तु दो’ यही मांगना चाहिए। तब भगवान श्रीकृष्ण प्रकट होकर दर्शन देते है और प्रसन्न होकर श्रीव्रजराजकुमार नित्य लीलाओं में प्रवेश प्रदान करते हैं। इससे बढ़कर वैष्णवों के लिए कोई भी वस्तु नहीं है।

‘श्री-सूक्त’ : ऐश्वर्य और समृद्धिदायक

हे अग्निदेव! कभी नष्ट न होने वाली उन स्थिर लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें जो मुझे छोड़कर अन्यत्र नहीं जाने वाली हों, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, उत्तम ऐश्वर्य, गौएं, दासियां, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें। ऐश्वर्य और समृद्धि की कामना से इस 'श्री-सूक्त' के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों से हवन, पूजन अमोघ फलदायक है।

नित्य पाठ के लिए भगवान श्रीकृष्ण का षोडशी स्तोत्र

जय जय श्रीराधारमण, मंगल करन कृपाल, लकुट मुकुट मुरली धरन मनमोहन गोपाल । हे वसुदेवकुमार देवकीनंदन प्यारे, गोकुल में नन्दलाल बाललीला विस्तारे।